सोमवार, जून 11, 2007

जिला जेल में घंटों बंद रहे दर्जनों बेगुनाह

मुजफ्फरनगर। निष्ठुर मौसम का कोप जिला जेल में दो दर्जन से अधिक बेगुनाह लोगों पर पड़ा, जो अपने परिचित कैदी से मिलने आए थे। पसीने की वजह से उनके हाथ पर लगे मुहर के धुल जाने पर बंदीरक्षकों ने उन्हें शक में अंदर ही रोक लिया तथा शाम पांच बजे जब कैदियों की गिनती हो गई, तब जाकर उन्हें छोड़ा गया। इस दौरान जेल के अंदर जमकर हंगामा हुआ और बाहर खड़े लोगों में भारी बेचैनी रही। रविवार को मिलाई का दिन होने के कारण सैकड़ों लोग अपने-अपने परिचित कैदियों का कुशलक्षेम पूछने के लिए जिला जेल आये थे। लगभग ढाई बजे मिलाई का वक्त खत्म हुआ। जेल के अंदर के फाटक पर मिलाई करने वालों की लाइन लगनी शुरू हुई। वहां ड्यूटी दे रहे जेल कर्मी हाथों पर लगी मुहर देखने के बाद एक-एक कर उन्हें बाहर निकालने लगे। इस दौरान ऐसा वाकया सामने आया, जिससे मिलाई के लिए आने वाले कई लोगों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। भीषण गर्मी और पसीने की वजह से मिलाई करने आए लगभग दो दर्जन लोगों के हाथ से मुहर के निशान धुल गए थे। शक के आधार पर जेल कर्मियों ने ऐसे लोगों को अंदर ही रोक लिया। इससे वहां हड़कंप मच गया। तत्काल यह सूचना अधिकारियों को दी गई। कुछ देर चिंतन के बाद अधिकारियों ने सभी कैदियों को बैरक में भेज दिया और उनकी गिनती की गयी। जब एक-एक कैदी की तस्दीक हो गई, तब बाहर खड़े लोगों को सख्त हिदायत देते हुए जेल से निकलने की अनुमति दी गई। इस कवायद में लगभग काफी समय लगा। इस दौरान उन लोगों ने जमकर हंगामा काटा, जिन्हें अनावश्यक रूप से जेल में रहना पड़ा। गुर्जर आंदोलन में जाम लगाने के आरोप में जेल में बंद कैदियों से मिलने गए रामपुरी निवासी मनोज पुत्र राजेन्द्र सिंह, धनीराम, नकुल, सहदेव, पुष्पेन्द्र आदि ने बताया कि लगभग तीन घंटे तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। पांच बजे के करीब जब जेल के अंदर सब कुछ सामान्य हुआ, तब जाकर उन्हें जेल से बाहर आने की अनुमति मिली। इस दौरान जेल परिसर के बाहर सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई। वे अंदर का नजारा जानने को उत्सुक रहे। घटना के संबंध में जेल अधीक्षक एसपी यादव ने बताया कि करीब 15 लोग ऐसे थे, जिनके हाथ पर लगी मुहर धुल गई थी। एहतियात के तौर पर ऐसे लोगों को जेल के अंदर रोक लिया गया। जिन कैदियों से वे मिलने आये थे, उनकी टैली करायी गयी और फिर सभी कैदियों की गिनती हुई। उसके बाद इन्हें बाहर जाने की अनुमति दे दी गई। जेल अधीक्षक ने बताया कि यह एक आवश्यक प्रक्रिया है और ऐसी स्थिति में इसका पालन करना ही पड़ता है। अन्यथा कोई भी कैदी खुद को मिलने के लिए आने वाला बताकर बाहर जा सकता है।

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